The Ultimate Guide To Shodashi
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥
She will be the 1 possessing Intense beauty and possessing ability of delighting the senses. Enjoyable mental and psychological admiration during the 3 worlds of Akash, Patal and Dharti.
सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥
She is depicted that has a golden hue, embodying the radiance of the climbing Sunshine, and is frequently portrayed with a 3rd eye, indicating her knowledge and Perception.
They have been also blessings to realize materialistic blessings from distinct Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened human beings With all the Shreechakra and so that read more you can activate it, a single should chant the Shodashakshari Mantra, which happens to be often called the Shodashi mantra. It is said to get equivalent to all the sixty four Chakras put alongside one another, together with their Mantras.
हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं